Sant Tulsidas Jayanti Wishes sms english hindi whatsapp status
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जीवन के लिए संत तुलसीदास का संदेश:
“अपनी ज़ुबान से इतने मीठे शब्द बोलो की,
अगर कभी वापस भी लेने पड़े,
तो खुद को कड़वे न लगे.!”
दोस्तों, और मेरे आदरणीय पाठकों, आज गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती है. गोस्वामी तुलसीदास भक्ति रस के कवि थे। कवि सम्राट कहे जाने वाले गोस्वामी तुलसीदास ने सनातन धर्म को न सिर्फ अनमोल ग्रंथों का खजाना दिया बल्कि सनातन धर्म के प्रति विश्वास जगाने का काम भी किया। गोस्वामी तुलसीदास रामचरितमानस, बरवै रामायण, विनय पत्रिका, राम लला महछू आदि प्रमुख ग्रंथों के रचयिता हैं। राम भक्त हनुमान को गोस्वामी तुलसीदास का अध्यात्मिक गुरू कहा जाता है। महाबलि हनुमान की उपासना के लिए भी तुलसी दास ने विभिन्न रचनाएं लिखी हैं। जिनमें हनुमान चालिसा और बजरंग बाण आदि प्रमुख हैं।
ऐसी मान्यता है कि तुलसीदास को अपनी सुंदर पत्नी रत्नावली से अत्यंत लगाव था। एक बार तुलसीदास ने अपनी पत्नी से मिलने के लिए उफनती नदी को भी पार कर लिया था। तब उनकी पत्नी ने उन्हें उपदेश देते हुए कहा- ” जितना प्रेम मेरे इस हाड-मांस के बने शरीर से कर रहे हो, उतना स्नेह यदि प्रभु राम से करते, तो तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती।” यह सुनते ही तुलसीदास की चेतना जागी और उसी समय से वह प्रभु राम की वंदना में जुट गए।
श्रीराम के अनन्य भक्त और रामचरित मानस जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथ के रचयिता संत तुलसी दास की 516वीं जयंती पर उन्हें कोटि कोटि नमन.
This year in 2010 the date of Goswami Tulsidas Jayanti is August 16.
Tulsidas kept the main story of Valmiki Ramayan intact yet made changes in the beginning and end in Ramcharitmanas. He laid emphasis on bhakti in his version of Ramayana. According to the popular belief it is said that Tulsidas composed Ramayana as per the guidance of Hanuman.
It is accounted that Tulsidas wrote twelve books and the most famous is the Ramcharitmanas. The major literary work and couplets written by him in Hindi are very popular and thus paid a major contribution towards development of the language.
The devotees visit temples of Lord Ram and Hanuman on Goswami Tulsidas Jayanti. The Ramcharit Manas is read with pious feeling on the day. Several seminars and symposiums are arranged on the teachings of Tulsidas are also held on the day in North India on this auspicious day. Apart from this, Brahmins are fed.